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Saturday, October 29, 2011

तन्हाइयों से लिपट कर सहला उनकी मायूसीयत को कभी...

तन्हाइयों से लिपट कर सहला उनकी मायूसीयत को कभी...
ना बन दर्द से बेख़बर उनके...
बरसों का रिश्ता है...
तनहाईयाँ कोई अजनबी तो नही
तेरे अश्कों को ना मिली जन्नत किसी और के कांधों पर...
चलो किस्मत ही है ऐसी तेरी ए मुसाफिर मगर,
जब दर्द जाना पहचाना है....
तो औरों के अस्कों को अपने कंधो पर नसीब कर क़ब्रगाह तो कभी|
Tanhaiyon Se LipatKar Sehla unki Mayousiyat ko Kabhi....
Na Ban Dard Se Bekhabar Unke....
Barson ka Rishta Hey...
Tanhaiyan Koi Ajnabi to Nahi.

Tere Askon Ko Na Mili Jannat Kisi Our Ke Kandhon Par...
Chalo Kismat hi hai Aisi E Musafir Magar,
Jab Dard Jana Pehchana Hai..
to Ouron ke Askon ko Apne Kandho Par naseeb kar Kabragah Kabhi..



By: Krishna Kumar vyas

(Kuch Adhure Panno Se)

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