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Wednesday, October 12, 2011

मैं तो आसमान हूँ तन्हा तन्हा सा...मुझ मे ही रह कर बादल ओरों के लिए बरसता है"

"ज़मीन की मायूसी...ख़ुसी दिखाने कोन नही आता ए मुसाफिर...कहीं सावन तो कहीं उस मे रेगिस्तान बस ता है,
मैं तो आसमान हूँ तन्हा तन्हा सा...मुझ मे ही रह कर बादल ओरों के लिए बरसता है"

आसमान हूँ में एक तन्हा तन्हा सा

मेरी परछाईं तक का कोई
निशाँ नही मिलता

सब कुछ समाया जाता है मुझमे
मगर...
जो प्यास जगे मुझे आँचल की...
तो मैं कहाँ जाउ??

बादल रहकर मुझ में ही...
बरसे गेरों के लिए
मेरी प्यास बुझाने...
एक कतरा पानी नही मिलता

आसमान हूँ में प्यासा प्यासा सा
प्यास जताने मगर..
मुझे मे कोई रेगिस्ताँ तक नही बस ता|


उठती है नज़रे मेरी तरफ...
हर किसी की
मगर..

किसी को तलाश
मुझ-मे छिपे सितारे की तो..
किसी को
आश बरखा बादल की
कोई चाँद से दिल लगाने को तो
कोई सूरज के आगे सिर झुखाने को

प्यार से देखे कोई मुझे
और बस सिर्फ़ मुझे...
ऐसी दो निगहों का सहारा नही मिलता

आसमान हूँ में एक तन्हा तन्हा सा


Aasman hun main ek tanha tanha sa
Meri Parchai tak ka koi
nisan nahi milta

Sab kuch samaya jata hey mujhme
magar...
jo pyas jage mujhe aanchal ki... to
main kahan jaun??

Badal Rehkar mujh main hi...
barse geron ke liye
Meri Pyas bujhane...
Ek Katra Pani nahi milta

Aasman hun main Pyasa Pyasa sa
Pyas jatane magar..
mujhe  ragistan tak nahi bas ta


Uthti hai najrain meri taraf... har kisi ki
magar..

kisi ko talash mujh-mai chipe sitare ki to..
kisi ko aash barkha badal ki
koi chand se dil lagane ko to
koi suraj ke aage sir jhukha ne ko

Pyar se dekhe Koi mujhe

or bas Sirf Mujhe...
aisee do nighano ka sahara nahi milta

Aasman hun main ek tanha tanha sa

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