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Friday, September 2, 2011

तो मुझ पर गुनहगार की तोहमत क्यों है!!

जब हर पल लिखा है उसने...जब दुनिया का हर शक्स चुना है उसने
हर किसी की जब तकदीर का मालिक वही है..
तो मुझ पर गुनहगार की तोहमत क्यों है!!
मेरे हिस्से मे गुनाह क्यों है.!!

चाहे मिले जन्नत या जहनुम्म ही सही
कायनात उसी की..खेल उसी का..
तो फिर फ़ैसला??

पनाह मे जाकर उसकी जब वही करेगा फ़ैसला...
तो फिर इस दुनिया मे हिसाब किताब क्यों है!!
फिर सही - ग़लत कहने वाले ...
इस जहाँ मे
ये खुदा के...खुदा क्यों है..!!
मुझ पर गुनहगार की तोहमत क्यों है.!
By: Krishna Kumar Vyas
(kuch adhure Panno se)

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