आज़ादी,
की लड़ाई की जदो-जहद २०० सालों तक चली,
सायद उसी की थकन हे,
के हम पिछले ६४ सालों से
बस सो ही रहे हैं
इंडिया सब्द के आगे भारत सब्द अब
एक दुसरे देश सा लगता हे,
कोश्ती हे जनता अपने नेताओं को भ्रस्टाचार के नाम पर,
और अपने ही नाकारा बचों के लिए रिश्वत देते इठलाते हैं,
अजब देश हे जहाँ हिंदी बोलने पर
स्कूल में बचे मार खाते हैं।
थकन बहोत हे २०० सालों के गुलामी की
ईसी लिए वोटिंग के दिन को हम
छुटी समझ सो जाते हैं।
कैसे कोई मारे-मरे
देश की सरहदों के लिए!
जहाँ नेता हो या जनता
अपने ही जवानों के राशन और कफ़न का हक भी डकार जाते हैं।
ये देश हे मेरा और लोग भी मेरे अपने हैं,
पर,
कहूँ भी तो किस से अब
होंठ अल्फाज कम और आंसू ज्यादा पिते हैं
एक आस सी थी नयी पीढ़ी से मगर,
बड़ा अजब देश प्रेम हे इनका!!!
जो जस्ने आजादी को पब डिस्को में मानते हैं।
बियर के घूंट से तर गले से...
जय हिंद जय हिंद के नारे लगते हैं।
आज़ादी,
की लड़ाई की जड़ो-जहद २०० सालों तक चली,
सायद उसी की थकन हे,
के हम पिछले ६४ सालों से
बस सो ही रहे हैं
- Krishna Kumar Vyas
1 comment:
Dada aaj se hum jaag gaye hai...
apne andar desh ko sudharne ka joonoon lekar aayengeee....
Aapke charno me sadar pranaam..
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