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Tuesday, November 29, 2011

जिस ज़मीन के टुकड़े के लिए

जिस ज़मीन के टुकड़े के लिए
हम नर मुंडो को बोते हैं बीज की तरह और
खून की नदियाँ बहा देते हैं...
कभी गर उस पर कुछ उगा भी..!!
तो वो चीखों और आहों के सिवा...
और क्या होगा...!!

Jis Jamin Ke Tukde Ke Liye
Hum Nar Mundo Ko bote hain bij ki tarah our
khun ki nadiyan baha dete hain...
kabhi gar us par kuch uga bhi...
to vo chikhon or aahon ke siva
our kya hoga..!!

2 lines From My Poem : Sarhad par jo mara hey
By: Krishna Kumar Vyas

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