jeevan ki raah ke kuch palon ka anubhav...किस्मत के हाथों बँधे इन निगाहों ने ना जाने क्या क्या देखा.. पर देखा जिसे बस खूने जिगर पीते देखा, पहले रोते थे मरने वालों पर... अब आँखें छलक गयी जब किसी को जीते देखा| Kismat ke hathon bandhe in nigahon ne, na jaane kya kya dekha... par dekha jise bas khune jigar pite dekha... pahle rothe the marne valon par.. ab aankhain chalak gayi jab kisi ko jite dekha
Saturday, October 29, 2011
तन्हाइयों से लिपट कर सहला उनकी मायूसीयत को कभी...
Tanhaiyon Se LipatKar Sehla unki Mayousiyat ko Kabhi....
Wednesday, October 26, 2011
इस दीपावली
इस दीपावली ...
दीप जले ना जले
राग जले ... द्वेष जले
हर कष्ट और पाप जले
इस दीपावली
धन मिले ना मिले
सुख मिले ...चेन मिले
बड़ों का आशीर्वाद मिले
और अपनो का साथ मिले
इस दीपावली
वैभव बढ़े ना बढ़े
प्रेम बढ़े सोहार्ध बढ़े
दोस्त बढ़े भरोसा बढ़े
मन मे क्षमा़ का भाव बढ़े
दीपावली की शुभकामना...एवमं आने वाला वर्ष संसार के लिए शुभकारी और मंगलदाई हो और विश्व मे सुख शांति बनी रहे - कृष्ण कुमार व्यास
दीप जले ना जले
राग जले ... द्वेष जले
हर कष्ट और पाप जले
इस दीपावली
धन मिले ना मिले
सुख मिले ...चेन मिले
बड़ों का आशीर्वाद मिले
और अपनो का साथ मिले
इस दीपावली
वैभव बढ़े ना बढ़े
प्रेम बढ़े सोहार्ध बढ़े
दोस्त बढ़े भरोसा बढ़े
मन मे क्षमा़ का भाव बढ़े
दीपावली की शुभकामना...एवमं आने वाला वर्ष संसार के लिए शुभकारी और मंगलदाई हो और विश्व मे सुख शांति बनी रहे - कृष्ण कुमार व्यास
Saturday, October 15, 2011
खुद की खुद से ही जंग मे हाल बड़ा बुरा होता है...
खुद की खुद से ही जंग मे हाल बड़ा बुरा होता है...
जीत भी मेरी और हार भी,
आँखों से अस्क बहते हैं
और होंठ मुस्कुरा रहा होता है|
काफिला चल पड़ता है आगे आगे मेरे तन का ...
मगर दिल कहीं ठहरा ठहरा सा लगता है
कहना भी नही...चुप रहना भी नही...
खामोशियाँ पूछती रहती हैं कई सवाल...
और जवाब....?
जवाब भी... खामोश खामोश सा होता है|
सोचता हूँ.... दफ़्न कर दूं.. तो सुकून मिलेगा
कंधो पर जो बोझिल सा लगता है
पर दिल की बात है,
दिल मे ही हो दफ़्न किसी के तो अच्छा
मगर अब टूटे दिल की दस्तक कोन सुनता और समझता है!?
एक फूल जो दबा मिला है तुझे मेरी किताबों मे
अजब बात है!!
तू समझे इसे पतझड़ की दास्तान..!!
मगर इसी की खुसबु ने तो मुझे अब तक जिंदा रखा है|
मगर इसी की खुसबु ने तो मुझे अब तक जिंदा रखा है|
तेरी जगह मैं ही दे देता
तेरी कशमकश को शब्दों की शक्ल
बस आख़री आश के मिटने का खोफ़ सा लगता है
ना ले तू कोई शिकन अपने माथे पर...
तेरा रुवांसा चेहरा दिल मे काटों सा चुभता है
राह बदल लेता हूँ अपनी मे ही खुद...
और सो जाता हूँ सदा सदा के लिए
राहे वफ़ा मे वैसे भी
तेरा कदम...
कुछ थका थका सा लगता है|
तुझ मे ही मे कब का समा गया तो अब शिकवा करूँ भी तो कैसे?
जीत भी मेरी और हार भी...
खुद की खुद से ही जंग मे हाल बड़ा बुरा होता है...
http://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/ek-musafir
(Scheduled on 21 Oct 11 @ 08:00 PM)
https://www.facebook.com/photo.php?fbid=10150341594877473&set=a.121987737472.98904.718772472&type=1&theater
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In Hinglish
Khud Ki Khud Se Hi Jung Me..Haal Bada Bura Hota hey...
Jeet Bhi Meri Or Haar Bhi,
Aankhon Se Ask Behte hain,
Or Honth Muskura Raha Hota Hey.
Kaafila Chal Padta Hey Aage Aage Mere Tan Ka..
Magar Dil Kahin Thera Thera sa lagta hey
Kahna Bhi Nahi..Chup Rehna Bhi Nahi..
Khamoshiyan Puchti Rehti Hain Kai Sawal...
or Jawab...?
Javab Bhi ..kHamosh Khamosh sa hota hey|
Sochta hun..Dafan Kar Dun..To Shukun Milega..
Kandhon Par Jo Bojhil Sa Lagta Hey
Par Dil Ki Baat Hey,
Dil Me hi Ho Dafan to Acha
Magar ab Tute Dil Ki Dashtak Kon Sunta Or Saamjhta hey..!?
Eak Phool Jo Daba Mila hey Tujhe Meri Kitabon Me ,,!
Ajab Baat Hey!!
Tu Samjhe Ise Patjhad Ki Dastan..!!
Magar Isi Ki Khusbun Ne To Mujhe Jinda Rakha Hey?
Teri Jagah Main Hi De Deta
Teri Kashmkash ko Shabdon Koi Shakal
Bas Aaakhri Aas ke Tutne Na Khouf Sa Lagta Hey|
Na Le Tu Shikan Apne Maathe Par..
Tera Ruwanasa Chehra Dil Ko Kanton Sa Chubhta Hey
Raah Badal Leta Hun Apni Main Hi Khud..
Or So Jata Hun Sada Sada Ke Liye..
Rahe Wafa Me Waise Bhi..
Tera Kadam..
Kuch Thaka Thaka Sa Lagta Hey...|
Tujh Me Hi Kab Ka Sama Gaya... To Ab Shikwa Karun Bhi to Kaise?
Jeet Bhi Meri Or Haar Bhi,
Khud Ki Khud Se Hi Jung Me..Haal Bada Bura Hota hey...|
By:Krishna Kumar Vyas
Date: 15 Oct 11
http://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/ek-musafir
(Scheduled on 21 Oct 11 @ 08:00 PM)
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