हम आजाद हैं
ऐसे आजादी के नारे खूब लगा लेंगे
हे १५ Aug तो फिर रिवाज ऐ जस्न मना लेंगे
पर एक नजर अपने जमींर भी ड़ाल देना कम से कम आज मगर
मन के आईने मैं झांक लेना एक पल को आज फकत्त
हम जो अब भी गुलाम हैं
भ्रस्टाचार के,
स्वार्थ भरे अचार के,
ह्रदय में भरे "मैं" और अपने पाप से
कैसे तिरंगा लहरा लेंगे?
सोचो,
अपनी जो बीत गयी सो बीत गई
मगर
तिरंगे में सिमटा बीती पीढ़ी का रक्त
और आने वाली पीढ़ी का कल
क्या सब कुछ मिटी में मिला देंगे?
आजादी के आज नारे तो खूब लगा लेंगे|
जय हिंद
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