कभी अपने बालों को सिराहने सुला कर सहलाना,
कभी आईने मे खुद को देखते हुए गुम हो जाना...
कभी अपनी ही अदाओं पे इठलाना,
काश हर उस पल मे भी होता वही किसी कोने मे...
वक़्त की तरह ठहरा ठहरा सा..
तकिए से जब लिपटती तुम...
मैं आहैं भरता,
तेरी गर्म साँसों को करने महसूस...
अपनी धड़कनों को मैं रोक लेता,
होठों को जब दातों तले दबाती तुम...
मैं अपनी किस्मत से लड़ पड़ता,
काश उस हर पल मैं भी होता वहीं किसी कोने मे...
वक़्त की तरह ठहरा ठहरा सा..
kabhi apne balon ko sirahne sula kar sehlana,
kabhi aaine me khud ko dekhte hue gum ho jana...
kabhi apni hi adaon pe ithlana,
kash har us pal me bhi hota wahi kisi kone me
waqt ki tarah thehra thehra sa...
takiye se jab lipati tum...
main aahain bharta,
teri garm sanso ko karne mehsus...
apni dhadkano ko main rok leta,
hothon ko jab daton tale dabati tum...
apni kismat se lad padta,
kash us har pal me bhi hota wahin kisi kone me...
waqt ki tarah thehra thehra sa.
By: Krishna Kumar Vyas
कभी आईने मे खुद को देखते हुए गुम हो जाना...
कभी अपनी ही अदाओं पे इठलाना,
काश हर उस पल मे भी होता वही किसी कोने मे...
वक़्त की तरह ठहरा ठहरा सा..
तकिए से जब लिपटती तुम...
मैं आहैं भरता,
तेरी गर्म साँसों को करने महसूस...
अपनी धड़कनों को मैं रोक लेता,
होठों को जब दातों तले दबाती तुम...
मैं अपनी किस्मत से लड़ पड़ता,
काश उस हर पल मैं भी होता वहीं किसी कोने मे...
वक़्त की तरह ठहरा ठहरा सा..
kabhi apne balon ko sirahne sula kar sehlana,
kabhi aaine me khud ko dekhte hue gum ho jana...
kabhi apni hi adaon pe ithlana,
kash har us pal me bhi hota wahi kisi kone me
waqt ki tarah thehra thehra sa...
takiye se jab lipati tum...
main aahain bharta,
teri garm sanso ko karne mehsus...
apni dhadkano ko main rok leta,
hothon ko jab daton tale dabati tum...
apni kismat se lad padta,
kash us har pal me bhi hota wahin kisi kone me...
waqt ki tarah thehra thehra sa.
By: Krishna Kumar Vyas