काश! यादों की भी, कोई तो उम्र होती
तन्हाइयाँ क्यूँ रहे दहशत में हर पल इनकी
काश! इनके लिए भी,
कोई तो कैद.... कोई कब्र होती...
(by: Krishna Kumar Vyas)
तन्हाइयाँ क्यूँ रहे दहशत में हर पल इनकी
काश! इनके लिए भी,
कोई तो कैद.... कोई कब्र होती...
(by: Krishna Kumar Vyas)
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