jeevan ki raah ke kuch palon ka anubhav...किस्मत के हाथों बँधे इन निगाहों ने ना जाने क्या क्या देखा.. पर देखा जिसे बस खूने जिगर पीते देखा, पहले रोते थे मरने वालों पर... अब आँखें छलक गयी जब किसी को जीते देखा| Kismat ke hathon bandhe in nigahon ne, na jaane kya kya dekha... par dekha jise bas khune jigar pite dekha... pahle rothe the marne valon par.. ab aankhain chalak gayi jab kisi ko jite dekha
Thursday, September 26, 2013
Saturday, July 6, 2013
Friday, April 12, 2013
Sunday, March 24, 2013
चन्द सांसे उधार की,
चन्द सांसे उधार की,
पल दो पल ही सही, सुकून तो मिला
खेल किस्मत का,
मेहबूब के संग पल दो पल की गुफ्तूगू
ख्वाब अधूरा सा दफ्न होने से पहले ही सही,
हक़ीक़त की चाँदनी से तो मिला
कुछ अधूरे पन्नो से...
एक मुसाफिर (krishna kumar vyas)
पल दो पल ही सही, सुकून तो मिला
खेल किस्मत का,
मेहबूब के संग पल दो पल की गुफ्तूगू
ख्वाब अधूरा सा दफ्न होने से पहले ही सही,
हक़ीक़त की चाँदनी से तो मिला
कुछ अधूरे पन्नो से...
एक मुसाफिर (krishna kumar vyas)
Friday, March 15, 2013
Tuesday, February 26, 2013
Wednesday, February 20, 2013
Tuesday, January 29, 2013
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