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Sunday, March 27, 2011

फिर ओर कभी

खुद की ही तलाश में मशरूफ हैं
अब तो आँखे इतनी
औरों को ढूँढ  ने की फुर्सत फिर ओर कभी

पीठ में धसा है खंजर ...
उसपर हाथों के निशान अपनो के
गेरो से बेरूख़ी की शिकायत फिर और कभी...

खुद से ही खफा खफा रहते हैं इतने की....
खुदा से खुदाई की शिकायत
फिर ओर कभी

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