खुद की ही तलाश में मशरूफ हैं
अब तो आँखे इतनी
औरों को ढूँढ ने की फुर्सत फिर ओर कभी
पीठ में धसा है खंजर ...
उसपर हाथों के निशान अपनो के
गेरो से बेरूख़ी की शिकायत फिर और कभी...
खुद से ही खफा खफा रहते हैं इतने की....
खुदा से खुदाई की शिकायत
फिर ओर कभी
अब तो आँखे इतनी
औरों को ढूँढ ने की फुर्सत फिर ओर कभी
पीठ में धसा है खंजर ...
उसपर हाथों के निशान अपनो के
गेरो से बेरूख़ी की शिकायत फिर और कभी...
खुद से ही खफा खफा रहते हैं इतने की....
खुदा से खुदाई की शिकायत
फिर ओर कभी