बड़ा अजीब इत्तेफ़ाक है....
तीन अजनबियों की सजी है महफिलएक मै हू, एक् मेरी परछाई और एक चिराग है।
कई सदियों की तन्हाई के बाद
मिला आज फिर किसी का साथ है,
बडा अजीब इत्तेफ़ाक है....
तनहा खामोशियो की बस
हो रही आज मुलाकात है
तीनो मे
शब्दो की कोई जगह नही...
कोई दुआ कोइ सलाम तक नही
बस
अपनी अपनी किस्मत पे लगे
बद के पेब्न्द् का दर्द् साफ़ साफ़ है
बड़ा अजीब इत्तेफ़ाक है....
सासे मिली तो है...
मगर जैसे कोई उधार् है।
बड़ा अजीब इत्तेफ़ाक है....
by Krishna vyas(ek soch)
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Bada Ajeeb Itafaq hey...
Teen ajanbiyon KI saji hey Mehfil
Ek main hun, Ek Meri Parchani or Ek Chirag Hey
Kai Sadiyon Ki Tanhai Ke baad...
Mila aaj fir Kisi Ka saath Hey...
Bada Ajeeb Itafaqq Hey
Tanhan Khamoshiyon ki bas Ho rahi aaj Mulakat Hey..
Bada Ajeeb Itafaq hey
Sabdon ki koi jagah nahi
Koi Duaa Koi Salam Tak Nahi
Bas Apni Apni Kismat pe lage
Bad ke Peband Ka Dard Saaf Saaf hey.
Bada Ajeeb Itafaak Hey..
Sanse mili to hain magar jaise kOi Udhar Hey.
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