jeevan ki raah ke kuch palon ka anubhav...किस्मत के हाथों बँधे इन निगाहों ने ना जाने क्या क्या देखा.. पर देखा जिसे बस खूने जिगर पीते देखा, पहले रोते थे मरने वालों पर... अब आँखें छलक गयी जब किसी को जीते देखा| Kismat ke hathon bandhe in nigahon ne, na jaane kya kya dekha... par dekha jise bas khune jigar pite dekha... pahle rothe the marne valon par.. ab aankhain chalak gayi jab kisi ko jite dekha
Tuesday, December 29, 2009
Kaise kahun mujhe tera saath kaisa laga
गंगा स्नान को भी तो जाता हूँ main
Thokar lagti hey jahan jahan
Ek khawab naya sajata hun main...
or purane khwabon ki majar pe..
odha naye wadon ka kafan...
uski aatma ko sula deta hun main..
Thokar lagti hey jahan jahan...
Kehta hun logon ko, ke bhagna hey bujdilon ki nisani
Kehta hun logon ko....
Ke bhag jana hey Bujdilon ki nisani.
Keh ke jamane ko bujdil, khud so jata hun main.
Na samjhe kabhi koi.... Gunahgar Hamain
Na Samjhe kabhi koi... Gunahgar hamain
Ke... bahot mustaid hai Zameer yaraon mera
Gar kar bhi liya koi paap to kya..
gar Kar bhi liya koi paap to kya..
Har saal ganga snan ko bhi to jata hun main.
Sunday, December 13, 2009
तेरा खुदा सच्चा हे या मेरे इश्वर मैं है दम
क्या फ़र्क पड़ता हे?
के तेरा अल्लाह सच्चा है, या मेरे ईश्वर मैं है दम!
एक दुआ कर तू खुदा से,
एक पुकार उठे, ईश्वर के लिए मेरी हलक से
"के चमन मे अमन रहे।"
"ना बहे लहू इंसान का इंसान से।"
"ना हो टुकड़े अब फिर कभी मासूम दिलों के।"
"ना उठे जनाजा फिर बेटे का बाप के कन्धों पे।"
"ना आए आँच अपने बहनो के दामन पे|"
फ़िर चाहे जो भी सुन ले..... ये पुकार !
चाहे वो खुदा हो या भगवान।।
जब होगा प्यार सब जगह|
तब फ़िर क्या फ़र्क पड़ जाएगा?
के तेरा खुदा सच्चा हे या मेरे इश्वर मैं है दम।
तू भी और मैं भी,
अपने अपने विश्वास को असीम मानते हैं।
मानते हैं, के
एक पत्ता भी नहीं हिलता उसकी मर्ज़ी के बगेर,
हवाएँ चलती हैं जब वो कहता है,
आसमान झुकता है जब वो चलता है...
क्या उस रोशनी को...
तेरी - मेरी जरूरत है?
उसे साबित करने की?
तो फ़िर क्यों धोखा देता है उसे भी और खुद को भी,
क्यों?
"तू" खुदा का खुदा बनता है|"
क्यों?
"तू" ईश्वर के नाम पर अपने स्वार्थ का खेल रचता है|"
अरे, क्या फ़र्क पड़ता है?
के तेरा अल्लाह सच्चा है, या मेरे ईश्वर मैं है दम!
हाँ मगर यकीं है मुझे ,
वो ताक़त, वो रोशनी वो सुकून जो भी है....,
चाहे उसे अल्लाह कहो या भगवान!!
दिल रोता होगा उसका भी
जब तू और मैं इन्सान से इन्सान की जगह गैरों सा मिलता है।
सोच...एक बार फिर से..
क्या फ़र्क पड़ता हे?
के तेरा अल्लाह सच्चा है, या मेरे ईश्वर मैं है दम!
by - कृष्ण कुमार व्यास, dated १३ dec 2009
Pic from internet....
Friday, May 29, 2009
Gam ye nahi ke aaj wo hamare saath nahi
Gam ye nahi ke aaj wo hamare saath nahi
soch or taklif is baat ki hey, ke ab wo kis ke sahare honge
yaad hey hamain aaj bhi,
jab bhi girta tha unki aankhon se koi aansu...
hum apni bhi palkain kuch bhigin bhingi mehsus karte the..
ab jab girainge un palkon se moti....
sochte hain unhe samjhne walle kon or kitne honge..?
kai baar samandar ki ret par ek dusre ke kadmon ke piche chalte the
hathon main liye haath...
hathon main liye haath... na jane kitne hi sapne naye pirote the..
gam ye nahi ke un sapno main ab hum nahin...
soch or taklif is baat ki hey
ke ab wo jab naye sapne sanjoyenge...
unhe samajh dil ki dhadkan banane walle kon or kitne honge..?
youn to waqt bhi kaafi bit chuka hey...
mousam or duniya dono hi badal gaye hain..
is badlti duniyan main..
unhe apana kehne walle ab kon or kitne honge...?
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