jeevan ki raah ke kuch palon ka anubhav...किस्मत के हाथों बँधे इन निगाहों ने ना जाने क्या क्या देखा.. पर देखा जिसे बस खूने जिगर पीते देखा, पहले रोते थे मरने वालों पर... अब आँखें छलक गयी जब किसी को जीते देखा| Kismat ke hathon bandhe in nigahon ne, na jaane kya kya dekha... par dekha jise bas khune jigar pite dekha... pahle rothe the marne valon par.. ab aankhain chalak gayi jab kisi ko jite dekha
Monday, February 27, 2012
कविताएँ तो बस दिल से दिल की बात होती हैं|
Thursday, February 23, 2012
तू किसी और का, मैं किसी और का किनारा होता...
Friday, February 17, 2012
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